भगवान श्री राम को मर्यादा पुरूषोत्तम राम भी कहा जाता है । ये नाम उनके सभ्य और मर्यादित व्यवहार के कारण मिला था। लोगों का मानना था कि श्रीराम कभी कुछ गलत नहीं करते और ना ही किसी पर अन्याय होने देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मर्यादा पुरूषोत्तन श्री राम ने भी एक मर्यादा लांघी थी? जी हां , प्रभु राम ने एक स्त्री का हत्या की थी। जबकि ये क्षत्रिय धर्म के खिलाफ था। जिसके मुताबिक कोई योद्धा किसी महिला पर शस्त्र नहीं उठा सकता । इसके बावजूद श्री राम ने एक स्त्री का वध किया।
त्रेतायुग में था, राक्षसों का आतंक
रामायण के मुताबिक त्रेतायुग में धरती पर राक्षसों का बहुत आतंक था। वो सबसे ज्यादा ऋषि मुनियों को परेशान करते और मारते थे । तब भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया । कई राक्षषों का वध किया और कई श्रापित लोगों को मुक्ति भी दिलाई ।जब ऋषि विश्वामित्र अयोध्या के राजकुमारों प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को शिक्षा दे रहे थे । तब वहां ऋषि अगस्त्य के साथ कई पीड़ित लोग भी आए । ऋषि विश्वामित्र को अपनी आपबीती सुनाने लगे कि कैसे राक्षष आकर उनके यज्ञ में बाधा डालते और उन्हें परेशान करते हैं । कभी कभी तो राक्षस यज्ञ कुंड में मांस के टुकड़े या रक्त डाल देते और किसी की भी हत्या कर देते हैंष वो किसी को भी चैन से नहीं रहने देते।
ऋषियों को करते थे परेशान
उनकी आप बीती सुनकर श्री राम ने ऋषियों से कहा, ‘आप अपना यज्ञ कीजिए हम आपके यज्ञ की रक्षा करेंगे। जब ऋषियों ने अपनी यज्ञ शुरू किया । तब दोनों राजकुमार यज्ञ की रक्षा करने लगे । यज्ञ के दौरान वहां राक्षसों की एक टोली आई और ऋषियों को सताने लगी । तब श्री राम और लक्ष्मण ने अपनी पराक्रम और वीरता से सभी को मार भगाया । इसके बाद बड़े शरीर और कुरूप चेहरे वाली एक राक्षसी ताड़का वहां आई और यज्ञ कर रहे ऋषि अगस्त्य को मारने लगी। तब अपनी जान बचाने के लिए ऋषि अगस्त्य, श्री राम से ताड़का को मारने की विनिती करते हैं। लेकिन श्री राम उसे ये कहकर नहीं मारते कि क्षत्रिय धर्म में कोई योद्धा किसी महिला पर शस्त्र नहीं उठाता।
ताड़का ने लिया,ऋषि अगस्त्य को मारने का प्रण
इसी दौरान ऋषि विश्वामित्र वहां आते हैं और प्रभु राम को बताते हैं कि ताड़का पहले एक सुंदर अप्सरा थी। वो सुकेतु यक्ष की पुत्री है । उसने एक सुंद नाम के राक्षस से विवाह किया। जिससे उसके दो पुत्र मारीच और सुबाहु हुए। लेकिन एक बार जब उसने तप करते हुए ऋषि अगस्त्य को सताया, तब उन्होंने उसे श्राप दिया । जिससे वो एक कुरूप राक्षसी ताड़का बन गई। जिस कारण उसके पति सुंद राक्षष ने क्रोध में आकर ऋषि अगस्त्य को मारने की कोशिश की तो ऋषि अगस्त्य ने उसे अपने श्राप से भस्म कर दिया। इसके बाद ताड़का के साथ उसके पुत्रों ने अपने पिता का बदला लेने के लिए ऋषि अगस्त्य को मारने का प्रण किया । ऋषि विश्वामित्र , श्री राम से कहते हैं कि तुम इनका वध कर हमें मुक्ति दिलाओं।
तो इसीलिए श्रीराम ने लांघी अपनी मर्यादा
श्री राम ऋषि विश्वामित्र से कहते हैं कि मैं ताड़का के पुत्रों को मार सकता हूं लेकिन किसी स्त्री पर शस्त्र नहीं उठाउंगा मेरा धर्म इसकी अनुमति नहीं देता । तब ऋषि विश्वामित्र उनसे कहते हैं कि – हे राम , मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं कि तुम ताड़का को मार दो , क्योंकि तुम्हारे अलावा कोई इसका वध नहीं सकता । तुम अपने मन से ये विचार निकाल दो कि तुम किसी स्त्री का वध कर रहे हो । राम तुम एक पापी राक्षषी का वध कर रहे हो और ये कोई पाप नहीं है। इससे तुम ऋषि मुनियों के साथ मानव जाति का भी कल्याण करोगे ।
ताड़का वध और लोक कल्याण
तब ऋषि विश्वामित्र की बात मानकर, श्रीराम ने एक ही तीर में ताड़का का वध कर दिया। जिसके बाद वो सुंदर अप्सरा के रूप में बदल गई। उसने प्रभु को प्रणाम किया और स्वर्ग की ओर चली गई। इसके बाद श्रीराम , ने एक तीर मारीच की ओर चलाया । जिससे वो चार सौ कोस दूर कहीं गिर जाता है । वहीं उन्होंने अपने दूसरे तीर से सुबाहु को मार दिया। इस तरह विश्वामित्र के कहने पर श्री राम ने सभी राक्षसों के साथ, लोक कल्याण के लिए अपने क्षत्रीय धर्म के विरुद्ध एक राक्षषी , ताड़का का वध किया ।
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