Water exists on the moon, scientists confirm
हमारा सौर मंडल हमेशा से बहुत से रहस्य अपने भीतर दफ्न किए हुए है, जिसे इंसान साइंस की मदद से तलाशने की कोशिश करता है। इसी कोशिश का नतीजा है कि हम धरती पर जीवन की शुरुआत और चंद्रमा से पृथ्वी के संबंध को समझ पाते हैं। लेकिन जैसे जैसे धरती पर इंसानी जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे वैसे प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा भी मंडरा रहा है। ऐसे में इंसान पृथ्वी को छोड़ कर किसी दूसरे ग्रह में जीवन की तलाश में जुट गया है और इस तलाश में सबसे पहला नाम चंद्रमा का आता है।
चंद्रमा पर मानव काफी पहले कदम रख चुका है और अब वहां मानव बस्तियां बसाने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन इन सब के विपरीत चंद्रमा पर बस्ती बसाने से पहले वहां जिंदा रहने के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की खोज करनी जरूरी है, जिसमें से एक है पानी।
पानी के बिना इंसान के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और नासा को चंद्रमा की सतह पर पानी के संकेत मिले है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या चंद्रमा पर जीवन संभव है, अगर नहीं… तो वैज्ञानिकों को वहां पानी के सबूत कैसे मिले।
चंद्रमा पर मिले पानी के सबूत (Water on the moon)
चंद्रमा की सतह और उसकी बनावट को लेकर साल दर साल वैज्ञानिक कई तरह के शोध करते रहते हैं, लेकिन हाल ही में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी मिलने का खुलासा किया है। नासा द्वारा इस घोषणा के बाद चंद्रमा पर जीवन और मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर बहस शुरू हो गई है। चंद्रमा पर पानी की खोज को लेकर नासा ने दावा किया है कि एक अभियान के तहत चंद्रमा के उस हिस्से में पानी मिलने के सबूत मिले हैं, जहां सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है।
ऐसे में नासा को उम्मीद है कि चंद्रमा पर बेस बनाने की योजना को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बेस को चंद्रमा पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से ही संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नासा द्वारा चंद्रमा की सतह पर पानी की इस खोज को लेकर दो अलग अलग शोध पत्रों में जानकारी दी गई है।
जिसके मुताबिक चंद्रमा की सतह पर जो पानी मिला है, वह लगभग एक क्यूबिक मीटर मिट्टी में 12 औंस की एक बोतल के बराबर है। यानि आसान शब्दों में कहा जाए तो चंद्रमा के लगभग एक क्यूबिक मीटर क्षेत्र में आधे लीटर से भी कम (0.325 लीटर) पानी मौजूद है। हालांकि नासा के वैज्ञानिक चंद्रमा की सतह पर मिले पानी को लेकर अभी अध्ययन कर रहे हैं।
चंद्रमा पर कैसे मिला पानी?
इस महत्वपूर्ण खोज को अंजाम देने के लिए नासा के वैज्ञानिकों द्वारा सबसे पहले एक एयरबोर्न- इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी टेलीस्कोप (Airborne Infrared Astronomy Telescope) तैयार किया गया, जिसका नाम सोफिया है। यह एक ऐसा टेलीस्कोप है, जो वायुमंडल में काफी ऊपर तक उड़ सकता है। इसी टेलीस्कोप की मदद से नासा के वैज्ञानिकों को बड़े पैमाने पर सौर मंडल और चंद्रमा की स्पष्ट तस्वीरें मिलती हैं।
इसी इंफ्रारेड टेलीस्कोप की मदद से नासा के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं के ‘सिग्नेचर कलर’ की पहचान की है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह पानी लूनर ग्लास के बुलबुलों में या फिर सतह पर मौजूद कणों के बीच जम गया और यही कारण है कि यह कठोर वातावरण होने के बावजूद भी मौजूद है।
एक दूसरे अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के उस क्षेत्र का अध्ययन किया है, जो हमेशा अंधेरे में रहता है और उस जगह को ठंडे जाल के रूप में जाना जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा के इस ठंडे हिस्से में पानी बर्फ की तरह जमे या स्थायी तौर पर मौजूद हो सकता है।
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों को चंद्रमा के दोनों ध्रुवों पर ठंडे जाल मिले हैं, जिससे यह अनुमान लगाया गया है कि चंद्रमा की सतह का करीब 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पानी को किसी न किसी रूप में बांधकर रखने की क्षमता रखता है।
चंद्रमा की सतह पर पहले भी मिल चुका है पानी
चंद्रमा की सतह पर पानी होने के संकेत पहले भी मिल चुके हैं, लेकिन वह पानी हमेशा से अंधेरी जगह या ध्रुव पर खोजा गया है। हालांकि इस नई खोज से यह पता चलता है कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिकों के अनुमान से ज्यादा पानी मौजूद है।
वहीं नासा के वैज्ञानिकों को लगता है कि इस खोज से चंद्रमा की सतह पर दूसरे संभावित स्त्रोतों को खोजने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा वैज्ञानिक चंद्रमा पर बेस वहीं बनाएंगे, जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा होगी।
इसलिए फिलहाल नासा के वैज्ञानिक बेस बनाने के लिए सही जगह का चुनाव कर रहे हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि योजना के मुताबिक साल 2024 तक पहली महिला और अगले पुरुष को चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा। यह योजना साल 2030 में नासा के मंगल ग्रह पर मानव के ‘अगले बड़े कदम’ की तैयारी का एक बड़ा हिस्सा है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज?
जैसा कि हम सब जानते हैं धरती पर जनसंख्या विस्फोट लगातार होता जा रहा है, जिससे संसाधनों की कमी को साफ आंका जा सकता है। भविष्य में धरती पर इंसान के रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होगी, ऐसे में मंगल ग्रह और चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाने की योजना बनाई जा रही है।
इस योजना के तहत चंद्रमा के जिस हिस्से में ज्यादा पानी मिलेगा और जहां सूर्य का सीधा प्रकाश उपलब्ध होगा, वहां मानव बेस बनाए जाएंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए पहले कई अलग अलग मिशन के जरिए जांच और रिसर्च की जाएगी, जिसके बाद वहां स्थायी आवास बनाए जाएंगे।
इस योजना के सफल हो जाने के बाद इंसान के पास धरती के अलावा चंद्रमा पर रहने का विकल्प भी होगा, हालांकि वहां तक पहुंचना सिर्फ अमीर वर्ग के लोगों के बस की बात होगी। क्योंकि चंद्रमा पर आवास उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिन्होंने वहां पहले से ही प्लॉट खरीदे हैं।
आपको बता दें कि दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने भी चंद्रमा पर प्लॉट लिया था, ऐसे में अगर उनके जीते जी चंद्रमा पर मानव बस्ती बनाई जाती तो उनका भी चांद पर सपनों का एक घर होता।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम एक बार यह समझ जाएं कि सतह से पानी को कैसे निकालना है, तो चंद्रमा पर अर्थव्यवस्था के लिए आधार को तैयार करने में काफी मदद मिल सकती है। अगर वैज्ञानिक अपने इस कार्य में सफल होते हैं, तो धरती से चंद्रमा पर किसी रॉकेट को भेजने की तुलना में, चंद्रमा पर रॉकेट ईंधन बनाना ज्यादा सस्ता और आसान हो जाएगा।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि नासा द्वारा चंद्रमा पर खोजे गए पानी का महत्व इंसानों के लिए कितना अविश्वसनीय साबित होगा। खैर यह देखना दिलचस्प होगा कि वैज्ञानिक कब चंद्रमा पर मानव बस्ती बसाने में सफल हो पाएंगे और चंद्रमा की सतह पर मौजूद पानी को कैसे निकाला जाएगा। क्या आप इस खोज से खुश हैं? अपना जवाब कमेंट सेक्सन में जरूर शेयर करें।
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