वैज्ञानिकों ने यूनीवर्स का 3D मैप बनाया

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largest 3d map of the universe

Scientists publish largest 3D map of the universe ever created

यह कोई नहीं जानता कि सबसे पहला मैप किसने बनाया पर अभी तक के Record के हिसाब से Babylon के लोगों ने 6th centuries BC पहले एक World map तैयार किया था। जो कि पूरा गलत था फिर एक और इंसान जिसका नाम Anaximander था। वह पहले यह सोचता था कि अर्थ फ्लैट है और उसने बहुत रिसर्च कर के मैप बनाया। जो कि पूरा गलत था। बस उसके मैप में कुछ चीजें सही थीं।

1569 में दुनिया का एक आधा सही मैप पहली बार बना और 1652 में लगभग 80 प्रतिशत करैक्ट मैप बना। लेकिन 1689 में हमें दुनिया का करैक्ट मैप मिला पर वो भी 100 प्रतिशत सही नहीं था। हमें 100 प्रतिशत सही मैप तो सैटेलाइट की मदद से ही मिले। फिर हमने पृथ्वी को छोड़ दूसरे ग्रहों की मैपिंग शुरू की और लगभग सारे Rocky planets का करैक्ट मैप बना लिया। वही पूरे सोलर सिस्टम की मैपिंग भी हमने कर ली पर अब बारी थी यूनीवर्स की।

5 साल तक अंतरिक्ष के काले अंधेरों में रोशनी की छोटी छोटी बूंदों के सहारे रिसर्चरस ने इस यूनीवर्स का Largest 3D map तैयार कर लिया है। जी हां हम आपको 100 प्रतिशत सही बता रहे हैं। वैज्ञानिकों ने यूनीवर्स का 3डी मैप बनाया है। हमें यह मैप Sloan Digital Sky Survey नाम के एक प्रोजेक्ट के परिणाम के तौर पर मिला। यह प्रोजेक्ट Observable universe के एक ऐसे मैप को बनाने के लिए बनाया गया था जिससे साइंस ब्रहमांड के कुछ रहस्यों को सुलझा सके।

इस प्रोजेक्ट ने अब तक 20 लाख गैलेक्सीज जो कि हमारी गैलेक्सी से लेकर 11 अरब लाइट ईयर तक फैले हैं उन सभी की मैपिंग कर ली है। वैज्ञानिकों के अनुसार हम यूनीवर्स के Dust और present को बखूबी जानते हैं पर यूनीवर्स के जन्म से लेकर 11 अरब साल तक यूनीवर्स में क्या क्या हुआ साइंटिस्टस को यह नहीं पता था और इस न्यू 3डी मैप में यूनीवर्स का 11 अरब वर्ष का इतिहास है।

Largest 3D map of the universe दिखाएगा कि किस तरह अलग अलग तत्वों ने ब्रहमांड को एक शेप दिया और किस तरह शुरूआती गैलेक्सीज की यूनीवर्स में Positioning यानि स्थिति निर्धारित हुई। इस मैप से यह पता चला कि शुरूआत में यूनीवर्स बहुत तेजी से एक्सपेंड हुआ। इस तेजी का कारण डार्क मैटर था। वैल डार्क मैटर का कोई इग्जेक्ट प्रूफ नहीं है। एक्चुअल में इसे Law of Gravity के माध्यम से बडे पिंड जैसे गैलेक्सी की मूवमेंट को समझाने के लिए यूज में लिया जाता है और डार्क मैटर की थ्योरी ही गैलेक्सी की मूवमेंट को सही से समझा सकती है।

डार्क मैटर ही आइंस्टाइन की Theory of relativity को एक्सप्लेन करने के लिए सबसे फिट बैठती है। इसलिए इस थ्योरी के अनुसार इस ब्रहमांड में डार्क मैटर की मौजूदगी है और कहा जाता है कि 95 प्रतिशत यूनीवर्स डार्क मैटर और डार्क एनर्जी से बना है। बाकी सारे गैलेक्सी, स्टार्स, प्लेनेट्स 5 प्रतिशत नामर्ल मैटर से बने हैं। Mathematically डार्क मैटर एक्सप्लेन करना संभव है पर साइंटिफिकली फिलहाल तो नहीं। Mathematically डाटा से डार्क मैटर की डेंसिटी 2.241×10−27 kg/m3 आंकी गई है और डार्क मैटर ही यूनीवर्स के expansion यानि विस्तार को एक्सप्लेन कर सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार इस यूनीवर्स में हमने मैटर वाली करोड़ों गैलेक्सीज देखी हैं पर इस यूनीवर्स में डार्क मैटर से बनी गैलेक्सीज भी हैं। वैल यह डार्कमैटर गैलेक्सी बस एक थ्योरी है और फिलहाल इसका कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है।

इस टाइप की गैलेक्सीज में असल में बहुत ही कम स्टार्स होते हैं या फिर कोई स्टार्स नहीं होते। यहां पर सिर्फ डार्क मैटर से बनी ही चीजें होती हैं जिन्हें एक्सप्लेन नहीं किया जा सकता। जैसा कि डार्क मैटर की थ्योरी के अनुसार डार्क मैटर से लाइट रिफलेक्ट नहीं होती या फिर बहुत ही कम लाइट रिफलेक्ट होती है उस हिसाब से उस डार्क मैटर गैलेक्सी में क्या है वह हमें नहीं दिखेगा।

25 अगस्त 2016 को Coma Cluster में एक गैलेक्सी मिली जिसे Dragonfly 44 नाम दिया गया । यह एक ultra diffuse galaxy थी जो कि सूर्य से 1 खरब गुना भारी यानि मिल्की वे के मास के बराबर थी। पर यह गैलेक्सी इतनी विशाल होने के बावजूद मिल्की वे के सिर्फ 1 प्रतिशत जितना ही लाइट रिफलेक्ट करती है और इसमें एक भी स्टार्स नहीं हैं।

dark-matter-galaxy-Dragonfly-44

यही नहीं इस गैलेक्सी के रोटेशन करने का कोई प्रूफ भी नहीं मिला है। जिससे कि साइंटिस्टस को यह लग रहा है कि वहां पर कुछ प्रतिशत मैटर से बने गैस क्लाउडस है और बाकी वहां पर 99 प्रतिशत चीजें डार्क मैटर से बनी हैं। इससे हमें यह हिंट मिलता है कि डार्क मैटर गैलेक्सी का अस्तित्व हो सकता है और शायद डार्क मैटर से बनी गैलेक्सीज की संख्या इस ब्रहमांड में अरबों खरबों में हो सकती है।

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