Kepler supernova exploded 400 years ago but hasn’t slowed down — and two pieces of debris are headed towards Earth:
यह अंतरिक्ष की दुनिया देखने में जितनी अच्छी लगती है उतना ही अपने भीतर कई तरह के राज समेटे बैठी है। अंतरिक्ष में अनगिनत तारे मौजूद हैं, जो रात के समय आसमान में टिमटिमाते हुए नजर आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब किसी तारे का ईंधन खत्म हो जाता है तो वह सिकुड़ जाता है और फिर उसमें एक विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा (Supernova) के नाम से जाना जाता है। लेकिन साल 1604 में एक छोटे सफेद तारे (White Dwarf) के सुपरनोवा में बदलने की घटना ने सभी खगोलविदों को हैरान कर दिया। दरअसल उस सुपरनोवा से विस्फोट के 400 साल बाद अनेकों प्रकार के पदार्थ बाहर निकल रहे हैं, जिनकी गति बिल्कुल भी कम नहीं हुई है। तो आइए जानते हैं इस अद्भुत सुपरनोवा के बारे में-
केप्लर सुपरनोवा (Kepler supernova)
उस तारे को 17वीं सदी में पहली बार देखा गया था, जो पृथ्वी से केवल 20 हजार प्रकाश वर्ष दूर था और उसके सुपरनोवा बनने की प्रक्रिया को नग्न आंखों से ही देखा जा सकता था। इस सुपरनोवा को केप्लर सुपरनोवा (Kepler supernova) के नाम से जाना जाता है। जिस समय इस तारे का ईंधन खत्म हुआ और उसमें विस्फोट हुआ तो उससे कई प्रकार के पदार्थ बाहर निकले। इससे निकलने वाले अवशेष काफी तेजी से ब्रह्मांड में फैल रहे थे और आज भी उसी गति में फैल रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि विस्फोट के 400 बाद भी इस सुपरनोवा का विस्तार कम क्यों नहीं हो रहा? जिस समय यह सुपरनोवा बना था उस समय इससे निकलने वाले पदार्थों की गति 8700 किलोमीटर प्रति सेकंड थी, यह रफ्तार पृथ्वी पर ध्वनि की गति से 25 हजार गुना ज्यादा है।
असल में केप्लर सुपरनोवा (Kepler supernova) को ला सुपरनोवा (Ia supernova) के नाम से भी जोड़कर देखा जाता है, किसी सुपरनोवा को यह नाम तब दिया जाता है जब बाइनरी सिस्टम में एक छोटा सफेद तारा अपने साथी तारे को निगलने लगता है। ऐसी स्थिति में उस तारे में इतना भार जमा हो जाता है कि वह स्थिर नहीं रह पाता और एक कॉस्मिक विस्फोट होता है। लेकिन ऐसे में साथी तारे का सारा का सारा पदार्थ दूसरे तारे में नहीं समा पाता। इसके बजाय उस तारे का सारा पदार्थ बाइनरी सिस्टम के आसपास के बादल में जमा हो जाता है। इस प्रक्रिया को तारे के बाहर का माध्यम या सर्कमस्टैलर मीडियम (Circumstellar medium) कहा जाता है। जब सफेद तारा सुपरनोवा में बदलता है तब इस विस्फोट से निकला पदार्थ इसी माध्यम से होकर गुजरता है।
अंतरिक्ष में कौन रोकता है इस पदार्थ की गति
पहले यह समझा जाता था कि अतंरिक्ष में किसी भी चीज के फैलने की गति को रोकने या कम करने का काम घर्षण रहित निर्वात (Vaccum) करता है। ऐसे में कोई भी चीज हमेशा एक ही गति से दूर जाती रहती है, लेकिन तारों के आसपास मौजूद घूल और अन्य अवशेष सुपरनोवा से निकलने वाले पदार्थ की गति को कम करने का काम करते हैं।
पिछले कई दशकों से हो रहा है अध्ययन
केप्लर सुपरनोवा दूरी के लिहाज से पृथ्वी के काफी करीब मौजूद है, जिसकी वजह से यह हमारी गैलेक्सी (मिल्की वे) के सबसे महत्वपूर्ण पिंडों (Objects) में से एक बन गया है। पिछले कुछ दशकों में जमा किए आंकड़ों से यह पता चलता है कि इस सुपरनोवा से निकला पदार्थ कितनी तेजी से गतिमान है। आर्लिंग्टन की टेक्सास यूनीवर्सिटी (The University of Texas at Arlington) के खगोलविदों की एक टीम ने ऑबजर्वेटरी की मदद से साल 2000, 2004, 2006, 2014 और 2016 की तस्वीरों का उपयोग कर सुपरनोवा के विस्फोट से निकले सामग्री के 15 हिस्सों के पदार्थों पर नजर रखी है। इसके बाद उन्होंने सामग्री की स्थिति में बदलाव कर उनकी त्रिआयामीय गति (Three dimensional velocity) की गणना की है।
सारा पदार्थ नहीं हुआ धीमा
अध्ययन से पता चलता है कि सुपरनोवा के कुछ हिस्सों से निकलने वाले पदार्थ की गति माध्यम से अंतर क्रिया (Interaction) करने से धीमी हो गई थी। लेकिन शोधकर्ता यह जानकार हैरान हो गए कि इसके कुछ हिस्से के पदार्थ अब भी उसी गति से चल रहे हैं, जिस गति से वह 400 साल पहले चल रहे थे। इन पदार्थों की गति अब भी 4,600 किमी प्रति सेकंड ही रिकॉर्ड की गई।
क्या होगा इस गति का परिणाम
सुपरनोवा से निकलने वाले पदार्थों की गति से पता चलता है कि पदार्थ का कुछ हिस्सा तारे के बाहर के माध्यम से बिना गति धीमी हुए निकल सकता है। दिलचस्प बात यह है कि तारे के हिस्से एक समान नहीं फैले हैं और 15 में से लगभग 8 हिस्से पृथ्वी से दूर जा रहे हैं वहीं सिर्फ दो हिस्से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहे हैं। बाकी पांच हिस्सों की दिशा अभी तक सुनिश्चित नहीं की जा सकी है। खगोलविद भविष्य में इस तारे के हिस्सों की दिशा का अवलोकन करेंगे और ला सुपरनोवा विस्फोट के बारे में और विस्तृत जानकारी दे सकते हैं। हालांकि अभी सुपरनोवा से निकलने वाले पदार्थ से पृथ्वी को किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन भविष्य में यह अनुमान बदल सकता है।
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