An island of faith- Haji Ali Dargah
आपने, ए आर रहमान का एक मशहूर गाना – ‘पिया हाजी अली’ तो सुना ही होगा? क्या आपको पता है कि ये कि इसमें हाज़ी अली कौन है? अगर नहीं पता को कोई बात नहीं, हम आपको बताते हैं कि पीर हाजी अली कौन थे और उनकी दरगाह का सच क्या है? पीर हाजी अली शाह बुखारी एक मशहूर संत थे। मुंबई की फेमस दरगाह का नाम इन्हीं के नाम पर – हाजी अली दरगाह, रखा गया है । आपको बता दें कि ये दरगाह बाकी सभी से कुछ अलग और खास है । लोग इसे चमत्कारी दरगाह कहते हैं। दरसअल ये दरगाह जो समुद्र में बनी हुई है जहां तक पहुंचने के लिए आपको समुद्र की बड़ी बड़ी लहरों से होकर गुजरना पड़ता है । इसी जो बात सबसे अलग और चमत्कारी बनाती है वो ये कि समुद्र में उफान आने के बावजूद भी ये कभी नहीं डूबती। लोगों का कहना है कि इस दरगाह पर अल्लाह कि मेहर है, तभी तो कोई भी यहां से खाली नहीं लौटता । आखिर ऐसा क्या रहस्य है इस दरगाह का जो समुंद्र के बीच होते हुए भी ये कभी डूबता नहीं है। तो चलिए जानते है इस हाजी अली दरगाह के चमत्कारी होने का रहस्यों के बारे में…
धार्मिक जगह और टूरिस्ट स्पॉट
हाजी अली की दरगाह, भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फेमस है। ये मुंबई की धार्मिक जगह होने के साथ ही एक टूरिस्ट स्पॉट भी है। जहां हर साल लाखों श्रृध्दालु आते हैं। दरगाह पर हर शुक्रवार सूफी संगीत और कव्वाली की महफिल सजती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बाकी दिनों के मुकाबले, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को यहां 50 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। ये दरगाह मुंबई के वर्ली में सड़क से लगभग 400 मीटर दूर, एक छोटे से टापू पर बनाई गई है। हाजी अली की दरगाह पर जाने के लिए मुख्य सड़क से एक पुल बना हुआ है। इस पुल की ऊंचाई काफी कम है और इसके दोनों ओर समुद्र है। लो टाइड यानी जब समुद्र में कम लहरें हो या कम पानी हो तब ही दरगाह में तक पहुंचा जा सकता है। नहीं तो बाकी समय में यह पुल पानी के नीचे डूबा रहता है।
दरगाह, मस्जिद और दुकान
पुल से दरगाह पर पहुंचने पर वहां कई दुकानों भी हैं, जहां दरगाह पर चढ़ाने के लिए चादर, फूल, इत्र और बाकी सभी समान मिलते हैं । इसके अलावा यहां एक मस्जिद भी है । दरगाह , टापू के 4500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इस दरगाह की पहचान 85 फीट ऊंची मीनार है । मस्जिद के अंदर पीर हाजी अली की मज़ार है जिसे लाल या हरे रंग की चादर से सजाया गया जाता है। मज़ार के चारों ओर चांदी के एक दायरा बना है, जो चांदी के डंडों से बना है। जिनमें देश-विदेश से आए पर्यटक भी शामिल हैं। इसे 1431 में बनाया गया। इसका निर्माण हाजी उसमान रनजीकर ने कराया था। जो तीर्थयात्रियों को मक्का ले जाने वाले जहाज़ के मालिक थे।
मां को लिखे पत्र में माफी मांगी
हाजी अली ट्रस्ट के मुतीबित हाज़ी अली उज़्बेकिस्तान के बुखारा से सारी दुनिया में घूमते हुए भारत पहुंचे थे। जबकि की लोगों का कहना है कि हाजी अली शाह बुखारी अपने भाई के साथ भारत घूमने आए और मुंबई के वर्ली में रहने लगे। कुछ समय बाद जब उनके अपने घर लौटने का समय आया। तब वापस जाने क बजाए। उन्होंने अपनी मां को नाम एक पत्र भेजा । जिसमें माफी मांगते हुए उन्होंने लिखा था कि अब वह यहीं यानी मुंबई में रहकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार करेंगे, लोगों को इस्लाम की शिक्षा देकर जागरूक करेंगे । फिर मक्का की तीर्थ यात्रा से पहले अपने सारे धन का त्याग कर दिया था। यात्रा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी, उनका अंतिम संस्कार भी वहीं किया जाना था। लेकिन कहा जाता है कि अरब सागर में तैरते हुए उनके शव का ताबूत मुंबई आ पहुंचा था।
अनुयायियों ने बनाई दरगाह
ऐसी मान्यता है कि मौत के बाद उनके शरीर को एक ताबूत में रखा गया और उसे समुद्र में बहा दिया गया। ये ताबूत बहते हुए मुंबई में इसी जगह वापस आ गया था । एक दूसरी मान्यता के मुताबिक इसी जगह संत हाजी अली के डूब जाने से उनकी की मौत हो गयी थी। इसीलिए उनके अनुयायियों ने उनकी याद में, यहां पर इस खूबसूरत दरगाह का निर्माण किया।
पहला चमत्कार- ज़मीन से निकाला तेल
कहते हैं, एक बार पीर हाजी अली शाह , उज़बेकिस्तान के बुख़ारा में एक वीरान जगह में बैठे नमाज़ पढ़ रहे थे । तभी एक महिला वहां से रोते हुए जा रही थी। पीर के पूछने पर उसने बताया कि वो तेल लेने गई थी, लेकिन बर्तन से तेल गिर गया जिसकी वजह से उसका पति उसे मारेगा । ये सुनकर पीर महिला को उसी जगह ले गए।जहां तेल गिरा था। उन्होनें उससे बर्तन लिया और हाथ का अंगूठा ज़मीन में गाड़ दिया। उसी समय ज़मीन से तेल का फ़ौव्वारा निकला और बर्तन तेल से भर गया।
दूसरा चमत्कार- सुनामी में भी नहीं डूबी दरगाह
दूसरी चमत्कारी घटना 26 जुलाई 2005 की है। जब मुंबई में भयंकर बाढ़ आई । जिसमें कई, घरों और इमारतों को बहुत नुकसान हुआ। लेकिन दरगाह को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा । इसी तरह सुनामी के दौरान भी जब लाखों लोग मारे गये । तब भी समुद्र के बीच इस पवित्र दरगाह को कोई नुकसान नहीं हुआ । पीर हाज़ी अली शाह बुख़ारी के समय और उनकी मौत के बाद कई चमत्कारी घटनाएं होने की बात कही जाती है। जिसपर लोग विश्वास करते हैं।
हाजी अली के बाद, बहन बनी इस्लाम प्रचारक
लोगों का मानना है कि हाजी अली शाह बुखारी के निधन के बाद उनकी बहन, उनके अधूरे सपने को पूरा करने के लिए वह भी इस्लाम धर्म का प्रसार-प्रचार करने लगीं थी। वर्ली की खाड़ी से कुछ दूरी पर उनका मकबरा भी है। हाजी अली की दरगाह में जो भी पूरे दिल और सच्चे मन से कोई मुराद मांगता है वो जरूर पूरी पूरी होती है। यहां आने वाले लोग कहते हैं कि वे कभी भी इस जगह से खाली नहीं लौटते । उनकी मन्नतें हमेशा पूरी होती हैं।