Galileo Galilei Biography
गेलिलियो गैलिली एक महान खगोल विज्ञानी(Astronomer)थे। जिनकी खोज से हमें अंतरिक्ष के साथ ही गति और गुरूत्वाकर्षण बल के नए सिद्धांतो के बारे में बहुत कुछ पता चला। लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि वो एक कुशल mathematician, physicist और philosopher भी थे। जिन्होंने यूरोप की वैज्ञानिक क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । तभी तो गेलिलियो को “father of observational astronomy”, “father of modern physics”, “father of the scientific method”, और “father of modern science” भी कहा जाता है।
गैलीलियो की शिक्षा
15 फरवरी 1564 को गैलिलियो गैलिली का जन्म, इटली के पीसा शहर में हुआ । उनके पिता का नाम Vincenzo Galilei था । जो एक मशहूर Music Theorist थे । उनकी मां का नाम जूलिया था । सात भाई-बहनों में गैलिलियो सबसे बड़े थे । उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फ्लोरेंस शहर से पूरी की।
परिवार की जिम्मेदारी
1581 में उन्होंने Medical science में प्रवेश लेकर अपनी पढ़ाई जारी रखी । लेकिन उनकी रूचि Medical science में नहीं बल्कि वैज्ञानिक आविष्कार में ज्यादा थी । 1591 में गैलिलियो (Galileo) के पिता का देहांत हो गया । जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई। बड़े होने के नाते मां और भाई-बहनों की जिम्मेदारी गैलिलीयो पर आ गई। आर्थिक तंगी में गैलिलियो का अपनी बहनों की शादी के लिए दहेज के पैसे जमा कर पाना बहुत मुश्किल था। आपको बतां दें कि इटली में उस समय दहेज की कुप्रथा बहुत प्रचलित थी। अपने परिवार के पालन पोषण के लिए गैलिलियो ने ट्यूशन देने के साथ ही कपड़े और Mathematical devices की दुकान खोली। जिससे उनकी आर्थिक स्थिती में सुधार हुआ । इन पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ ही गैलिलियो ने अपनी study और teaching जारी रखी ।
पीसा की मीनार से परीक्षण
गैलिलियो ने अपनी एक खोज में अरस्तु (Aristotle) के उस सिद्दांत को गलत बताया। जिसमें उन्होंने ने बताया कि, अगर ऊपर से पृथ्वी पर कम या ज्यादा भार वाली वस्तुओं को साथ गिराया जाए तो ज्यादा भार वाली वस्तु जल्दी गिरेगी| गैलिलियो ने इसका परिक्षण पीसा की मीनार पर किया । मीनार पर चढ़कर उन्होंने ज्यादा और कम भार वाले दो गोलों को एक साथ नीचे गिराया। इस एतिहासिक प्रयोग को देखने के लिए कई लोग आए। लोगो ने देखा कि दोनों गोले अलग अलग भार के होने के बावजूद एक साथ नीचे गिरे। इस तरह उन्होंने एक नए सिद्धांत की खोज की। अरस्तु के सिद्धांत को गलत साबित करने पर लोगों ने उनकी तारीफ करने के बजाए उनकी आलोचना शुरू कर दी। लोग उन्हें घमंडी और बुजुर्गो की निंदा करने वाला एक बेकार आदमी बताने लगे। लेकिन गैलिलियो ने अपने अविष्कार और खोज जारी रखाी।
दूरबीन का अविष्कार
भले ही गैलीलियो से पहले Hans Lippershey(लिप्प्रसहे) ने दूरबीन का आविष्कार कर लिया था। लेकिन वो कुछ दूरी तक देखने के काम आती थी। इसके बाद गैलिलियो (Galileo) ने 4 अप्रैल 1597 में, एक ऐसी दूरबीन बनाई जो 32 गुना ज्यादा दूर तक देख सकती थी । उन्होंने 1609 में अपनी दुकान में इसको बेचना शुरू किया । जो बहुत जल्द ही बिक जातीं थीं क्योंकि उस समय जो दूरबीन (Telescope) बिक रही थी, उसकी देखने की क्षमता ज्यादा दूर तक नहीं थी ।
गैलीलियो ने रचा इतिहास
गैलीलियो ने अपनी दूरबीन से अंतरिक्ष में आकाशगंगा के तारों का झुण्ड खोजा | गैलीलियो ही सबसे पहले इंसान थे जिन्होंने चाँद में गड्ढे देखे थे। इतना ही नहीं बृहस्पति ग्रह को दूरबीन की सहायता से सबसे पहले इन्होंने ही देखा था। गैलीलियो ने ही ये भी बताया कि ये चारों चन्द्रमा ब्रहस्पति के चक्कर लगाते है। शनि ग्रह के चारों और रिंग्स की खोज भी गैलीलियो ने ही की । भले ही 1611 में दूरबीन के आविष्कार के लिए गैलिलियो को सम्मानित किया गया । लेकिन कई लोग उनकी दूरबीन संबधी आविष्कारों की आलोचना करते थे।
गैलिलियो, एक आधुनिक आर्किमिडीज
1585- 86 में गैलिलियो ने एक Hydro-static Balance तैयार किया । इससे अलग-अलग तरल पदार्थो के गुणों का अनुमान लगाना आसान हो गया ।इसके तीन साल बाद उन्होंने ठोस पदार्थो की गति के नियमों के बारे में दुनिया को बताया ।उनके अविष्कारों की वजह से उन्हें Modern Archimedes कहा जाने लगा था । आपको बता दें कि Archimedes एक यूनानी mathematician, physicist, engineer, inventor,और astronomer थे।
धर्म विरोधी थे गैलिलियो !
1632 में गैलिलियो ने अपनी एक रिसर्च में बाइबिल में लिखी इस बात को गलत बताया। जिसमें लिखा था कि सूर्य घूमता है और पृथ्वी स्थिर रहती है। इसके लिए उन पर कई कट्टरपंथियों ने धर्म विरोधी आरोप लगाए । लेकिन गैलिलियो ने अपने सिद्धांत को साबित कर दिखाया। इनका कहना था कि पृथ्वी, स्थिर नहीं है बल्कि वो सूर्य के चारों ओर घूमती है। यह बहुत बड़ी खोज थी । जिसने Astronomy को एक नई दिशा दी। लोगों का मानना था कि गैलीलियो का ये सिद्धान्त धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ था इसलिए उनका विरोध होने लगा ।
आजीवन कारावास की सज़ा
एक चर्च ने गैलिलीयो को आदेश दिया कि वो अपने सिद्धांत को गलत बताएं। सबके सामने माफी मांगे। तब गैलीलियो ने दबाव में आकर ऐसा ही किया । लेकिन फिर भी उन्हें जेल भेज दिया गया।
अपने जीवन का आखिरी समय उन्होंने भी जेल में बिताया । वहां उनकी आंखों की रोशनी चली गयी । 8 जनवरी 1642 को गैलिलियो की जेल में ही मौत हो गयी । इस तरह एक महान वैज्ञानिक ने दुनिया को अलविदा कहा।