आपने बचपन में एक छोटे बच्चे की कहानी तो सुनी ही होगी। जो जंगल में खो जाता है और फिर जंगली भेड़िए उसको पालते हैं। इतना ही नहीं भालू और बाघ उसे तैरना और शिकार करना सिखाते हैं। अगर आपको याद आ गया हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं कि इस बच्चे का नाम क्या था। ये तो हुई कहानी की बात लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में कुछ बच्चें ऐसे भी हैं जिन्हें सच में जंगली जानवरों ने पाला है। वो कहते हैं ना कि ‘बच्चों को पालने की कला सिर्फ इंसानो में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी होती है।’ आज हम आपको ऐसे ही बच्चों के बारे में बताएंगे। जिन्हें आम बोल-चाल में जंगली बच्चे कहा जाता है लेकिन इनको वैज्ञानिक भाषा में Feral children कहते हैं।
John Ssebunya, The Ugandan Monkey Boy
जब जॉन 3 साल का था तो उसने अपने पिता को, जॉन सिबुनया ने अपने ही पिता को मां का कत्ल करते हुए देख लिया था, जिससे वो घबरा कर उरुग्वे के जंगल(Uruguay’s Jungle) में भाग गया। वहां उसे वर्वट बंदरों (Vervet Monkeys) ने पाला। जब 3 साल बाद एक लड़की ने जॉन को जंगल में देखा और घर आकर गांव वालों को उसके बारे में बताया। जब गांव के कुछ लोग उसे लेने पहुंचे तो बंदरों ने उन पर हमला कर दिया और पत्थर फेकर उन्हें भगाने की लगे लेकिन वे, जॉन को वर्वट बंदरों से बचा कर वापस ले आए। कुछ साल तक इलाज करने के बाद जॉन इंसानों की तरह जीने लगा।
Marina Chapman, the Capuchin monkey Girl
मरीना जब 5 साल की हुई, तो उसे कुछ लोगों ने उसे किडनैप कर लिया और कोलंबियाई जंगल में छोड़ दिया। वहां उसे केपूचिन(CAPUCHIN) प्रजाति के बंदरों ने पाला। जिससे मरीना इंसानी तौर तरीके भुल कर उनकी तरह रहने लगी यानी वो बंदरों की तरह व्यवहार करने लगी थी। उन बंदरों ने उसे पक्षियों और खरगोशों को पकड़ना सिखाया, जिन्हें खाकर मरीना जिंदा रही। फिर 5 साल बाद अमेरिका के कुछ शिकारियों ने मरीना को पकडकर एक वेश्यालय को बेच दिया, जिसकी वजह से मरीना इंसानी दुनिया से फिर जुड़ गई। कुछ समय बाद वो वेश्यालय से भाग कर इंग्लैंड पहुंची गई, जहां उसने शादी की। मरीना की अब 2 बेटियां है। 2013 में ‘THE GIRL WITH NO NAME’ नाम से मरीना की एक किताब छपी, जिसमें उसने जंगल में बिताए अपने 5 सालों के सफर के बारे में बताया है। आपको बता दें ये किताब, मरीना ने खुद ही लिखी है।
Daniel, The Andes Goat Boy
1990 में पेरू की एंडीज़(ANDIES) पहाडियों पर एक 12 साल का एक लड़का डेनियल मिला, जो बकरियों की तरह घास और फल खाता था। इसकी देखभाल एक मादा बकरी करती थी और वो उसका दूध पीता था। लगातार 8 साल तक बकरियों के साथ रहने की वजह से डेनियल भी 4 पौरों पर चलता था, इसीलिए उसकी हथेलियों की अंगुलियों पर गांठे हो गई थी। वो कभी अपने 2 पैरों पर ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाया।
Oxana Malaya, The Ukrainian Dog Girl
1991 में उक्रेन (UKREN )देश में एक 8 साल की लड़की कुत्तों के साथ खाना खाती हुई दिखी,वो करीब 6 साल से कुत्तों के साथ रह रही थी। जब ऑक्सेना मलाया, 2 साल की थी तो उसके शराबी मां- बाप ने उसे घर से निकाल दिया था। उस समय वहां भयंकर सर्दी पड़ रही थीं, जिससे बचने के लिए माल्या पास ही बने, कुत्तों के घर जाकर रहने लगी। उनके साथ रहने की वजह से मलाया भी कुत्तों की तरह दांत दिखाती और भौंकती थी। इलाज के बाद उसके व्यवहार में थोड़ा बदलाव आया और मलाया इंसानों की तरह रहने लगी।
Kamala and Amala, The Wolf Girls
1920 में भारत के पश्चिम बंगाल के मिदिनापुर में 2 बहनों को भेडिए की मांद से छुड़ाया गया। 8 साल की कमला और 18 महिने की अमला न जाने कैसे जंगल में भेडियों के एक झूंड़ में पहुंच गई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि दोनों की देखरेख ये भेडिए ही करते थे। दोनों बहने भेड़िए की तरह हथेली और घुटने के सहारे से चलती थीं और एक भेड़िए की तरह कच्चा मांस खाती थीं। इतना ही नहीं उन्हें रात में भेड़िए की तरह ज्यादा और दिन में कम दिखाई देता था। ये दोनों कच्चा मांस ही खाना पसन्द करती थी और रात में अपने भेड़िए परिवार को भेडिए की आवाज में बुलाया करती थीं। उन पर न तो गर्मी का असर होता और न ही ठंड का। दोनो बहनों को सुधारने के कई कोशिशें की गई। लेकिन सितम्बर 1921 में दोनों बीमार हो गई। अमला गुर्दे के संक्रमण के कारण बीमार पड़ी और उसकी मौत हो गई। अनाथालय में 5 साल बिताने के बाद कमला में परिवर्तन देखा गया। वो लोगों को पहचानने लगी, थाली में खाना खाने लगी और साफ बोलने लगी थी। लेकिन कमला न्यूरो डेवलेपमेंन्टल बीमारी का शिकार हो गई और 14 नवम्बर 1929 की सुबह उसकी भी मौत हो गई।
Hadara, The Ostrich Boy
हदारा , Ostrich Boy के नाम से फेमस है। एक लड़का दो साल की उम्र में सहारा के रेगिस्तान में अपने माता-पिता बिछड़ गया था जिसे शुतुरमुर्ग ने पाला। जब वो 12 साल का था तो सहारा के रेगिस्तान घूमने आए कुछ लोग उसे अपने साथ ले आए। फिर उसे, उसके माता-पिता को सौंप दिया। हदारा को अपना परिवार मिला जिनकी देखभाल से वो ठीक हो गया । बाद में हैदारा ने शादी की और उसके बच्चे भी हुए। अक्सर हदारा की कहानी साउथ सहारा में सुनाई जाती है। फिर 2000 में, हदारा के बेटे अहमदु ने अपने पिता की कहानी स्वीडिश लेखक मोनिका ज़क को बताई, जिसने इस पर एक किताब भी लिखी।
Sujit Kumar, The Chicken Boy
1978 में फिजी के जंगल में Elizabeth Clayton नाम की ए महिला ने एक लड़के को जंगली मुर्गियों के साथ खेलता दिखाई दिया। पहले तो उसे लगा कि ये इनका शिकार करने आया होगा लेकिन बाद में महसूस हुआ की वो लड़का मुर्गियों की आवाज़ निकाल कर उन्ही की तरह कीड़े खा रहा था। ये देखकर Elizabeth उस लड़के को अपने साथ गांव ले आई । उसका इलाज कराया और उसे इंसानों के तौर तरीके सिखाए। Elizabeth ने उसका नाम सुजीत कुमार रखा। कुछ सालों बाद वो लड़का इंसानों की तरह व्यवहार करने और बोलने लगा। फिर सुजीत कुमार इंसानों के साथ रहने लगा और आज भी वो जिंदा है और खुश है।
The Leopard Boy
1912 में भारत के जंगल में एक बच्चा मिला, जिसे सभी Leopard Boy के नाम से जानते हैं। जिसे एक तेंदुआ, गांव से चुरा कर ले गया था और लगभग पांच साल तक ये बच्चा उसके पास था। तेंदुए ने उसे अपना शिकार बनाने के बजाय उसका पालन पोषण किया । फिर एक दिन गांव के लोगों ने उसे पहचान लिया और तेंदुए को मार कर बच्चे को छुड़ा लिया और घर ले आए । वो बोल नहीं सकता था। अपने आप को एक जंगली तेंदुआ ही समझकर इसकी तरह आवाज़ निकालने लगा और 2 पैरों पर नहीं बल्कि तेंदुए की तरह 4 पैरों यानी अपने हाथों और पैरों के सहारे चल रहा था। घर आने पर उसका इलाज कराया गया इंसानों की तरह चलना और बोलना सिखाया गया लेकिन सब बेकार साबित हुआ। उसमे कोई बदलाव नहीं आया बल्कि वो इंसानी माहौल में बीमार होने लगा और एक दिन उसकी मौत हो गई।
Prava ,The Bird Boy
प्रवा एक 7 साल का बच्चा था, जो 2008 में रूस में खोजा गया था। जो एक अपार्टमेंट में पक्षियों के साथ रह रहा था। वो उन्हीं की तरह आवाज़ निकालता और अपनी गर्दन घुमाता था । जांच में पता चला कि प्रवा की माँ ने ही उसे कई सालों से इस अपार्टमेंट में हजारों पक्षियों के साथ बंद कर रखा था। उसकी माँ, उसके साथ ऐसा व्यवहार किया करती थी मानों को भी एक पक्षी ही हो। वो उससे इंसाने की तरह नहीं बल्कि पक्षियों की तरह आवाज़ निकाल कर बात किया करती थी, इतना ही नहीं वो उसे खाने में भी पक्षियों के दाने ही देती थी। शायद यही कारण था कि प्रवा के शारीर का विकस पूरी तरह से नहीं हो पाया । इसीलिए वहां के अधिकारियों ने प्रवा को उसकी मां से छुड़ा कर मनोवैज्ञानिक के पास देखभाल के लिए एक संस्थान में रखा। जहां आज भी वो बोलना आप और एक आम इंसान कि तरह रहने के तौर तरीके सीख रहा है।
Victor, The Wild Boy
1800 में वीक्टर को सभी, ‘ Wild Boy’ के नाम से जानते थे । फ्रांस के एवेरोन (Aveyron) में मिले वीक्टर के शीरीर पर घाव के बहुत सारे निशान थे, और वो ठीक से आवाज़ भी नहीं निकाल पा रहा था। कोई नहीं जानता था कि वो, वहां कैसे या क्यों गया। डॉक्टरों ने पाया कि वीक्टर में कुछ हैरान कर देने वाली बात है। उसके पास ठंड को सहने की एक अद्भुत क्षमता थी जो किसी साधारण आदमी में होना नामुमकिन है। इसी के कारण वो बहुत ठंड में भी इतने सालों से जंगल में जिंदा था। इसी अनेखी क्षमता को देकते हुए, वहां के लोगों ने उसे वीक्टर नाम दिया। कई फ्रांसीसी वैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिकों ने विक्टर को इंसानी व्यवहार सिखाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। की सालों तक यही सिलसिला चलता रहा लेकिन विक्टर की हालत में सुधार नहीं आया। 40 साल का होने पर उसकी मौत हो गई।