हम सभी जानते हैं कि यूनीवर्स एक्सपेंड कर रहा है पर ये एक्सपेंड क्यों कर रहा है? इसका कारण अभी भी हमारी समझ से परे है। जब किसी चीज का कारण हमें समझ नहीं आता तो हम उस चीज को समझाने के लिए कुछ थ्योरीज़ बनाते हैं और जो थ्योरी उस घटना से फिट बैठती है उसी थ्योरी को ही उस घटना का कारण माना जाता है। उसी तरह यूनीवर्स के एक्सपेंशन का कारण डार्क मैटर को माना जाता है एक ऐसा पदार्थ जिसे किसी ने न कभी डिटेक्ट किया और न ही कभी देखा। तो चलिए जानते हैं थोड़ा इसके बारे में और हम यह भी चर्चा करेंगे कि किस तरह लार्ज हेड्रोन कोलाइडर (Large Hadron Collider) इस डार्क मैटर की खोज कर रहा है।
डार्क मैटर एक ऐसा पदार्थ है जो साइंटिफिक केलुकुलेशन्स के अनुसार इस पूरे ब्रहमांड में जितना भी मैटर है उसमें 85 प्रतिशत डार्क मैटर है और 15 प्रतिशत नार्मल मैटर है। जिससे आसमान के स्टार्स, गैलेक्सीज, प्लेनेट्स और अन्य चीजें बनी हैं। इसका मतलब ये है कि अंतरिक्ष की जिस जगह को हम एम्पटी यानि खाली देखते हैं वो असल में खाली नहीं बल्कि डार्क मैटर से भरी हुई है। कहा जाता है कि इस ब्रहमांड को शेप और साइज देने में इसी डार्क मैटर का ही काम है। इसी डार्क मैटर की वजह से ही बिग बैंग के बाद जब गैलेक्सी जन्में थे उनकी पाॅजीशन्स डार्क मैटर ने ही तय की थी।
डार्क मैटर को डार्क इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह किसी भी टाइप के इलैक्ट्रोमेग्नेटिक रेडिएशन से इनट्रेक्ट नहीं करता और इस कारण यह हमेशा हमारी नजरों से दूर ही रहता है। बिना डार्क मैटर के गैलेक्सीज अपने स्टेबल पाथ पर नहीं रहेंगे। वह ब्रहमांड में इधर उधर भटक जाएंगें। साइंटिस्टस ने मैथ्स के जरिए डार्क मैटर की डैंसिटी मापी थी और कहा कि डार्क मैटर की डैंसिटी इस यूनीवर्स में गैलैक्सीज की पजीशनिंग, मूवमेंट और यूनीवर्स के एक्सपेंशन के रेट के हिसाब से डार्क मैटर 2.241×10−27 kg/m3 इतना डेंस है। पर मैं आपको नाॅलेज के लिए बता दंू कि डार्क मैटर की मौजूदगी का 0.001 प्रतिशत प्रमाण भी हमारे पास नहीं हैं फिलहाल तो डार्क मैटर का अस्तित्व थ्योरीज के सहारे ही टिका हुआ है।
अब हम अपना थोडा रुख लार्ज हैड्रोन कोलाइडर यानि LHC की तरफ कर देते हैं। LHC को इस संसार में हर जगह से सम्मान मिलना तब प्राप्त हुआ जब इसने गाॅड पार्टीकल हिग्स बोसोन की खोज की थी पर अब यह एक और बड़ी खोज के लिए तैयारी शुरू कर चुका है और अगर यह सक्सेफुल हो जाए तो शायद यूनीवर्स के फिजिक्स की पूरी थ्योरी ही बदल जाएगी। LHC अब डार्क मैटर की खोज को शुरू कर चुका है। साइंटिस्टस LHC में प्रोटोन बीम्स को रिकाॅर्ड तोड़ स्पीड से कोलाइड करवा रहे हैं जिससे की डार्क मैटर के अस्तित्व का पता चल सके।
साइंटिस्ट यह जानते हैं कि दो साइड से बराबर मात्रा में एक ही पाइंट पर प्रोटोन बीम को कोलाइड कराया जाए तो Transverse Momentum जीरो होना चाहिए और अगर यह जीरो नहीं होगा तो यह कन्फर्म हो जाएगा कि यह Momentum किसी अदृश्य मैटर द्वारा ले लिया गया और उसी से यह कन्फर्म हो सकता है कि नार्मल मैटर के अलावा भी इस यूनीवर्स में कोई अलग टाइप का मैटर है।
साइंटिस्ट कहते हैं कि इस यूनीवर्स में जितने भी नार्मल मैटर है अगर हम उन सबकी ग्रैविटी को एड भी कर दें तो तब भी यूनीवर्स में उतनी ग्रैविटी नहीं होगी कि वह यूनीवर्स को एक्सपेंड कर सके, गैलेक्सीज क्लस्टर्स को एक स्टेबल मूवमेंट दे सके। यूनीवर्स की ग्रैविटी को एक्सप्लेन करने के लिए जितनी ग्रैविटी की जरूरत है यह नार्मल मैटर सिर्फ 15 प्रतिशत ही ग्रैविटी प्रोवाइड करती है और 85 प्रतिशत ग्रैविटी किसी अदृश्य जगह से आ रही है। अगर वह अदृश्य चीज अस्तित्व में नहीं है तो सैंकड़ों साल से हम जिस Laws of Gravity को सच मानते आए हैं वह तो गलत साबित हो जाएंगें।
वहीं कुछ साइंटिस्टस तो यह भी मानते हैं कि लाॅज और ग्रैविटी गलत है और उसे माॅडिफिकेशन की जरूरत है । तो उनके हिसाब से हमने जिस थ्योरी को ध्यान में रख कर दूसरे ग्रहों पर यान भेजा, चांद पर मानव भेजा वह सब एक गलत थ्योरी से सक्सेसफुल हो गए? वैल लाॅ और ग्रैविटी को प्रूव या डिसएप्रूव करना मेरे हाथ में नहीं है पर एक बात तो क्लियर है कि यूनीवर्स में हो रही गैलेक्टिक मूवमेंट्स और इंसीडेंट्स को डार्क मैटर की थ्योरी ही आराम से समझा सकती है।
वैल में आपको लास्ट में एक इंटरैस्टिंग फैक्ट से रूबरू करवा दूं कि साइंस के इतना एडवांस होने के बावजूद भी हमारे पास एनर्जी की इग्जेक्ट डेफीनेशन नहीं है और शायद हम कभी भी एनर्जी की इग्जेक्ट डेफिनेशन को खोज भी ना पाएं। आपका इस बारे में क्या कहना है कोमेंट करें।
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