Interesting Curses in Hindu Mythology, Which You May Not Know
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा, जैसी प्रभु की माया। क्या सच में सब कुछ , भगवान के मुताबिक होता है? क्या उनके पास इतनी शक्ति है कि वो हमें हर मुसीबत से निकाल सकते हैं ? अगर ऐसा है , तो फिर क्यों भगवान को भी श्राप भोगना पड़ा? जी हां आपने सही सुना, बहुत से देवी देवता ऐसे हैं जिन्हें अपने कर्मों के कारण श्रॉप मिले और उन्हें भी इनका निर्वाह करना पड़ा ।हिन्दू पौराणिक ग्रंथो में कई श्रापों के बारे में बताया गया है। जिनके पीछे कोई न कोई कहानी ज़रूर है जो हमें सीख देती है।
वृंदा का भगवान विष्णु को श्राप
शिवपुराण में भगवान विष्णु को, तुलसी द्वारा दिए गए श्राप के बारे में बताया गया है। जब समुद्र मंथन हुआ तो उस समय उससे जलंधर नाम के राक्षस का जन्म हुआ। जिसके अत्याचार से सभी देवी देवता परेशान हो गए थे। इस राक्षस की सारी ताकत उसकी पत्नी वृंदा थी। वृंदा भगवान विष्णु की भक्त तो थी ही साथ ही पतिव्रता थी इसलिए खुद, भगवान शिव भी जलंधर को नहीं मार सकते थे।
जिसके अत्याचार से सभी देवी देवता परेशान हो गए थे। इस राक्षस की सारी ताकत उसकी पत्नी वृंदा थी। वृंदा भगवान विष्णु की भक्त तो थी ही साथ ही पतिव्रता थी इसलिए खुद, भगवान शिव भी जलंधर को नहीं मार सकते थे।
तब भगवान विष्णु ने एक माया रची और जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास पहुंचे और उसकी पवित्रता नष्ट कर दी। इसी घटना के साथ जलंधर की ताकत खत्म हो गई । भगवान शिव ने उसका वध कर दिया। वृंदा को जब भगवान विष्णु की छल का पता चला तो वो क्रोधित हो गई और उसने भगवान विष्णु को काला पत्थर बनने का श्राप तो दिया । इसके साथ ही ये भी कहा कि आप भी अपनी पत्नी से अलग हो जाएंगे, इसीलिए श्री राम के अवतार में भगवान विष्णु अपनी पत्नी सीता माता से अलग हो जाते हैं।
श्रवण के माता पिता का राजा दशरथ को श्राप
पौराणिक ग्रंथ रामायण में भी कई श्रापों के बारे में बताया गया है । रामायण के मुताबिक राजा दशरथ ने शिकार के दौरान हिरण के भ्रम में श्रवण कुमार का वध कर कर दिया। जो कि अपने माता पिता को तीर्थ यात्रा पर लेकर जा रहा था।जब उसके माता पिता को अपने बेटे की मौत की ख़बर मिली तो उन्होंने दशरथ को श्राप दिया कि तुम्हें भी हमारी ही तरह, पुत्र वियोग होगा। तुम भी अपने आखिरी क्षणों में अपने पुत्र को नहीं देख पाओगे और तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। शायद इसी श्राप की पूर्ति के लिए,राम को 14 वर्षों का वनवास भोगना पड़ा और उसी दौरान राजा दशरथ की मौत हो गई ।
पक्षियों का माता सीता को श्राप
रामायण में माता सीता को गर्भावस्था में श्री राम को छोड़कर वन जाना पड़ा था। ये तो सभी को पता है, लेकिन क्या आपको पता है कि ये भी एक श्राप के ही कारण हुआ? जी हां, माता सीता को एक पक्षी जोड़े ने श्राप दिया था । बचपन में एक दिन सीता अपनी सहेलियों के साथ बगीचे में खेल रहीं थीं। वहाँ उन्हें एक तोते का जोड़ा दिखाई दिया,जो बहुत ही खूबसूरत था। उन्होंने अपनी सहेलियों से उन दोनों पक्षियों को पकड़ कर लाने को कहा ।
माता सीता उन पक्षियों से कहती हैं—कि ‘तुम दोनों बहुत सुंदर हो। देखो, डरो नहीं, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाउंगी ।तुम बस मुझे ये बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आये हो? माता सीता के पूछने पर दोनों पक्षी ने उन्हे सब बताया, कि कैसे उनका विवाह श्री राम से होगा और वो अयोद्धया की रानी बनेंगी।सारी बातें बताने के बाद मादा तोता जानकी से कहती है कि ‘ मैं गर्भवती हूँ, मुझे जाने दो, मैं, अपने स्थान पर जाकर बच्चे पैदा करूँगी। आप चाहें तो उसके बाद फिर से यहाँ आ जाऊँगी।
उसके कहने पर सीता जी ने उसे नहीं छोड़ा। तब उसके पति ने माता सीता से उन्हें छोड़ने का आग्रह किया, लेकिन माता सीता नहीं मानी। तब मादा पक्षी ने क्रोध में सीता को श्राप दिया- कि ‘जिस प्रकार तू मुझे इस समय अपने पति से अलग कर रही है, वैसे ही तुझे भी स्वयं गर्भवती होने पर श्री राम से अलग होना पड़ेगा।’
क्रोध और सीता जी का अपमान करने के कारण नर तोते का जन्म अयोध्या में धोबी के घर हुआ। उसके कारण ही सीता जी का अपमान हुआ और उन्हें गर्भावस्था में श्री राम से अलग होकर जंगल में रहना पड़ा।
गांधारी का श्रीकृष्ण को श्राप
क्या आपको पता है कि श्रीकृष्ण को श्राप मिला था। महाभारत के लिए कौरवों की मां गांधारी ने श्रीकृष्ण को दोषी मानकर । उन्हें कहा कि अगर तुम चाहते तो इस विनाश को रोक सकते थे, लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। क्रोध में आकर गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया कि ‘जिस तरह कौरवों के वंश का नाश हुआ है उसी तरह यदुवंश का भी नाश हो जाएगा।’ अगर अपने पति के लिए मेरी भक्ति सच्ची है तो आज से ठीक 36 साल बाद तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।’
इस श्राप के कारण ही द्वारिका में 35 साल बाद भयंकर तूफान और सूखा पड़ने लगा जिस कारण श्रीकृष्ण द्वारिका से यदुवंशियों के साथ एक सुरक्षित जगह आ गए। कुछ दिनों बाद महाभारत-युद्ध की चर्चा करते हुए यदुवंशियों में विवाद हो गया। जिससे उनमें आपसी युद्ध शुरू हो गया और वे 2 गुटों में बंटकर एक-दूसरे का संहार करने लगे। इस लड़ाई में लगभग सभी यदुवंशी मारे गये। जंगल में भटकते हुए श्री कृष्ण भी एक शिकारी के तीर से मारे गए। इस तरह श्राप के कारण श्रीकृष्ण के कुल का भी नाश हो गया।
उर्वशी का अर्जुन को श्राप
महाभारत के मुताबिक जब अर्जुन चित्रसेन से नृत्य और संगीत की शिक्षा लेने स्वर्ग गए । वहां की एक अप्सरा जिसका नाम उर्वशी था, वो अर्जुन को देखकर मोहित हो गई।जब उन्होंने अर्जुन को अपने मन की बात बताई। तब अर्जुन ने कहा कि आप पुरू वंश की जननी होने के लिहाज से मेरी माता के समान हैं। हमारा सिर्फ मां और पुत्र का रिश्ता हो सकता है। अर्जुन के प्रेम प्रस्ताव ठुकराने से उर्वशी गुस्से में आ गई । उसने अर्जुन को एक साल तक किन्नर बनने का श्रॉप दिया। हालांकि अर्जुन का ये श्रॉप उसके लिए अज्ञातवास के दौरान वरदान साबित हुआ। इस श्रॉप से वो खुद को कौरवों से छिपाने में सफल हुए। अज्ञातवास के दौरान वो किन्नर के रूप में स्त्रियों वाले कपड़े पहनते थे। इस तरह उन्होंने अपने श्राप को भोगा ।
अम्बा का भीष्म को श्राप
महाभारत की एक और कथा में बताया गया है कि भीष्म की मृत्यु भी एक श्राप के कारण ही हुई। कहते हैं भीष्म ने अपनी सौतेले भाई विचित्रवीर्य के विवाह के लिए काशीराज की 3 पुत्रियों का हरण किया था क्योंकि भीष्म चाहते थे कि उनका वंश आगे बढ़े। लेकिन उन्होंने बाद में बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया क्योंकि वो शाल्वराज को चाहती थी। शाल्वराज के पास जाने के बाद अम्बा को उस ने स्वीकार करने से मना कर दिया जिसके बाद वो दुखी हो गई और फिर वापस आकर उसने भीष्म से विवाह करने को कहा लेकिन भीष्म ने अपनी ब्रहमचारी प्रतिज्ञा के कारण अम्बा से विवाह के लिए मना कर दिया।
ऐसे बार बार होते अपमान के कारण अंबा क्रोध में आ गई । उसने भीष्म से कहा कि ‘तुमने मेरी जिंगदी बर्बाद की है और अब मुझसे विवाह करने से भी मना कर रहे हो। मैं निस्सहाय स्त्री हूं और तुम शक्तिशाली पुरूष। तुमने अपनी शक्ति और बल का दुरुपयोग किया है ।अभी मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। लेकिन मैं दोबारा जन्म लूंगी और तब तुम्हारे अंत का कारण बनूंगी।’ उसके बाद अंबा शिखंडी के रूप में जन्म लेती है, और महाभारत के युद्ध के समय भीष्म की मृत्यु का कारण बन जाती है।
तो देखा दोस्तों, ये कहानियां हमें सीख देती हैं। चाहे भगवान हों या कोई प्राणी सभी के लिए कर्म के नियम बराबर हैं। अपने कर्मों के फल से कोई भी नहीं बच सकता। इसीलिए अच्छे कर्म करें। आज के लिए बस इतना ही | ये लेख अ,च्छा लगा, तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें, धन्यवाद।