पूरे सौर मंडल में अब तक सिर्फ हमारी धरती पर ही जीवन मौजूद है, जहां इंसान के अलावा पेड़-पौधे और जीव-जंतु भी फल फूल रहे हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या, ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण की वजह से धरती पर जीवन धीरे-धीरे मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक सौर मंडल में मौजूद अन्य ग्रहों में जीवन की तलाश कर रहे हैं, अब तक मंगल ग्रह में जीवन की संभावना होने के सबसे ज्यादा कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन इन सब के विपरीत खगोल शास्त्रियों को एक दूसरे ग्रह में जीवन के संकेत मिले हैं, यह ग्रह पूरी तरह से बादल और गैस से ढका हुआ है और उस ग्रह को हम सभी शुक्र यानि Venus के नाम से जानते हैं। तो आइए जानते हैं कि खगोल शास्त्रियों को इस ग्रह पर जीवन के संकेत आखिर कैसे मिले और इंसान कब तक यहां पहुंचने में कामयाब हो पाएगा।
Venus पर जीवन
अब तक इंसान चंद्रमा और मंगल ग्रह पर मानव बस्तियां बसाने को लेकर विचार कर रहा था, लेकिन अब उनके लिए एक नया शोध कार्य शुरू हो चुका है और वह कार्य है शुक्र ग्रह से जुड़े जीवन के तथ्यों का पता लगाना। दरअसल खगोल शास्त्रियों को Venus के वायुमंडल में एक अन्य प्रकार की गैस मिली है, जो उस ग्रह पर जीवन होने का संकेत देती है।
इस गैस के मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि शुक्र ग्रह के बादलों में सूक्ष्म जीव तैर रहे हैं। इस अद्भुत गैस का नाम फाॅस्फीन (Phosphine) है, जो फास्फोरस के कण और तीन हाइड्रोजन कणों से मिलकर बनी है। हमारी धरती पर भी फास्फीन गैस पाई जाती है, जो जीवन से संबंधित है। यह गैस पेंगुइन के पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों से जुड़ी होती है या फिर दलदल जैसी कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर पाई जाती है।
यही नहीं धरती पर फास्फीन गैस को बनाने के लिए विभिन्न कारखाने मौजूद हैं, लेकिन शुक्र ग्रह पर इस प्रकार का कोई कारखाना नहीं है जिसकी वजह से वहां इस गैस की मौजूदगी जीवन का संकेत दे रही है। Venus पर Phosphine सतह से 50 किलोमीटर के ऊपरी हिस्से में मौजूद है, जिसे खोजने के बाद वैज्ञानिक भी हैरान हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने अब तक शुक्र ग्रह पर जीवन मिलने का दावा नहीं किया है, बल्कि जीवन के संकेत मिलने और उससे जुड़ी जांच करने का खुलासा किया है।
वैज्ञानिक अभी शुक्र ग्रह में मिली इस गैस को लेकर जांच करेंगे और उसके बाद यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि क्या वहां किसी प्रकार का सूक्ष्म जीवन मौजूद हैं। अगर शुक्र ग्रह पर मौजूद Phosphine गैस या बादलों में किसी प्रकार के सूक्ष्म जीव मिलते हैं तो यह विज्ञान और मानव इतिहास के लिए बहुत बड़ी खोज साबित हो सकती है। क्योंकि इस खोज से धरती के अलावा अन्य ग्रहों में मानव जीवन की कल्पना की जा सकती है।
Venus पर कैसे मिली जीवन का संकेत देने वाली गैस (Phosphine gas on Venus)
पृथ्वी के अलावा किसी अन्य ग्रह पर जीवन के संकेत देने वाली Phosphine गैस का मिलना अपने आप में बहुत ही चौंकाने वाली बात है, लेकिन ऐसे में यह सवाल भी खड़ा होता है कि आखिर Venus पर यह गैस मिली कैसे? दरअसल South Wales में मौजूद कार्डिफ यूनिवर्सिटी (Cardiff University) के प्रोफेसर जेन ग्रीव्स और उनके साथियों ने जेम्स क्लर्क मैक्सवेल और अटाकामा लार्ज मिलिमीटर ऐरी टेलिस्कोप की मदद से शुक्र ग्रह पर काफी लंबे समय से नजर रखी हुई थी।
इसी दौरान उन्हें ग्रह की सतह से 50 किलोमीटर ऊपर फास्फीन गैस के स्पेक्ट्रल सिग्नेचर का पता चला, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने शुक्र ग्रह के बादलों में बड़ी मात्रा में फास्फीन गैस होने की संभावना जताई है। अब तक शुक्र ग्रह पर फास्फीन गैस की जो मात्रा मिली उससे यह पता नहीं लगाया जा सका है कि वहां कोई जैविक तत्व मौजूद हैं या नहीं। हालांकि इस ग्रह पर जीवन के संकेत खोजने को लेकर काम किया जा सकता है।
शुक्र ग्रह में जीवन के संकेत को लेकर इतने उत्साहित क्यों हैं वैज्ञानिक
सौर मंडल में मौजूद शुक्र ग्रह पर जीवन के संकेत मिलना घास के ढेर में सुई मिलने जैसा प्रतीत हो रहा है, क्योंकि इस ग्रह पर जीवन की संभावना मिलने का प्रतिशत दूसरे ग्रहों के मुकाबले बहुत कम था। वहीं बाइबल में शुक्र ग्रह को नरक कहा गया है, ऐसे में इस ग्रह पर जीवन के संकेत मिलना पूरे ब्रह्मांड के लिए अविश्वसनीय बात साबित होगी। इसके अलावा शुक्र ग्रह पर वायुमंडल की मोटी परत मौजूद है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा सबसे ज्यादा है। यहां के वातावरण में लगभग 96 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड है, जिसकी वजह से इस ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के मुकाबले 90 गुना ज्यादा है।
वहीं शुक्र की सतह का तापमान 400 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है, जहां आपका एक लार्ज पिज्जा कुछ नैनोसेकेंड्स में पक कर तैयार हो जाएगा। यही नहीं शुक्र ग्रह पर किसी इंसान या जीव का जीवन कुछ सेकंड के लिए भी संभव नहीं है, क्योंकि इसकी सतह पर पैर रखते ही आप पानी की तरह उबलने लगेंगे। इसलिए वैज्ञानिकों को हमेशा से लगता था कि शुक्र ग्रह पर जीवन की संभावना होना दूसरे ग्रहों के मुकाबले नामुमकिन है। लेकिन Phosphine गैस की मौजूदगी का पता लगने के बाद ऐसा लगता है कि आग उगलने वाला यह ग्रह जीवनदायक भी हो सकता है। हालांकि इस ग्रह पर मानवीय जीवन संभव है या नहीं, इस बात को लेकर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।
शुक्र पर मानव जीवन की संभावना क्यों है कम?
शुक्र ग्रह पर Phosphine गैस का मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी खोज माना जा रहा है, लेकिन यहां जीवन की संभावना फिर भी कम ही है। क्योंकि इस ग्रह को घने बादलों ने कवर किया हुआ है, जिनमें 75 से 95 प्रतिशत तक सल्फ्यूरिक एसिड (Sulphuric Acid) मौजूद होता है। यह एसिड जीवों समेत इंसानों के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है, क्योंकि शुक्र ग्रह पर पानी की जगह सल्फ्यूरिक एसिड की वर्षा होती है।
ऐसे में धरती में पाए जाने वाले जीव यहां जीवित नहीं रह सकते हैं, हालांकि अगर शुक्र ग्रह में खुद नए जीव पनपन रहे होंगे तो उन्हें इस वातावरण में रहने की आदत होगी। वहीं अगर शुक्र ग्रह पर कोई सूक्ष्म जीव मौजूद हैं, तो उन्होंने सल्फ्यूरिक एसिड से बचने के लिए अपने आप में किसी तरह का कवच विकसित कर लिया होगा। लेकिन शुक्र ग्रह पर जीवन है या नहीं, इस सवाल का जवाब जानने के लिए वैज्ञानिकों को वहां मिशन भेजना पड़ेगा।
NASA कर रहा है शुक्र ग्रह पर जाने की तैयारी
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिक साल 2030 तक Venus पर एक संभावित फ्लैगशिप मिशन भेजने की योजना पर काम कर रहे हैं। यह फ्लैगशिप नासा की ओर से भेजे गए सबसे सक्षम और सबसे महंगे मिशन में से एक होगा। इस मिशन के लिए एक इंस्ट्रूमेंटल बैलून (Instrumental Balloon) भेजने पर विचार किया जा रहा है, जो शुक्र के बादलों के बीच से गुजरेगा। आपको बता दें कि रूस ने साल 1985 में शुक्र ग्रह पर अपना वेगा बैलून भेजा था, जिसे सल्फ्यूरिक एसिड से बचाने के लिए उसके आस-पास टेफ्लान लगा दिया गया था। हालांकि उस दौरान शुक्र ग्रह पर जीवन के संकेत देने वाली गैस के बारे में जानकारी नहीं मिली थी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि वह शुक्र ग्रह तक जा सकते हैं और वहां के वातावरण में मौजूद बूंदों को जमा करके उनका अध्ययन कर सकते हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिक शुक्र ग्रह पर एक माइक्रोस्कोप भी ले जा सकते हैं, जिसके जरिए वह ग्रह पर जीवन को देखने की कोशिश कर सकते हैं। अगर शुक्र ग्रह के ऊपरी बादलों पर जीवन मिलता है तो इससे वैज्ञानिकों को कई नई चीजों को समझने में मदद मिलेगी। शुक्र ग्रह पर जीवन मिलना इस बात का संकेत हो सकता है कि हमारी आकाशगंगा में कई जगह जीवन हो सकता है। अगर पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों में जीवन मिल जाता है, तो आने वाले समय में इंसान धरती के बाहर रहना शुरू कर देगा। यही नहीं इसके साथ ही पृथ्वी पर बढ़ती जनसंख्या और प्रदूषण का प्रतिशत भी कम हो जाएगा।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पृथ्वी के अलावा शुक्र ग्रह पर भी जीवन के संकेत मिल रहे हैं, भले ही वह संकेत एक गैस के रूप में ही क्यों न हो। हो सकता है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक शुक्र ग्रह से जुड़ी अन्य जानकारी सामने ला सके। चलिए अब आपको बताते हैं अपनी धरती के बारे में एक रोचक तथ्य।
हम सभी जानते हैं कि हमारी धरती पर लगभग 71 प्रतिशत पानी है और 29 प्रतिशत जमीन है लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की सतह से लगभग 700 किलोमीटर नीचे एक बहुत बड़े पानी का स्त्रोत ढूंढा है। पानी का ये स्त्रोत मेंटल लेयर में है ये पानी रिंगवुडाइट नामक एक नीली चट्टान के अंदर छिपा हुआ है जो पृथ्वी की सतह और इसके कोर के बीच गर्म चट्टान की परत से 700 किलोमीटर दूर है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस स्त्रोत में इतना पानी है जिससे हमारे सभी महासागरों को आराम से तीन बार भरा जा सकता है।
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