मानव सभ्यता इस सौर मंडल से बाहर ग्रह खोजने में अपनी पूरी ताकत झोंक देती है। इस उम्मीद से कि उनमें कोई तो ऐसा ग्रह जरूर होगा, जहां पर पृथ्वी जैसा वातावरण हो। पृथ्वी जैसे ग्रह हमें मिले तो जरूर हैं पर उनके बारे में हमारे पास सटीक जानकारी नहीं है, क्योंकि हमारी तकनीकी इतनी एडवांस नहीं है। पर आपको बता दें कि हमें मिल्की वे गैलेक्सी में जुपिटर के टाइप के कई सारे ग्रह मिले हैं।
अब हम थोड़ा Milky Way की बात करें। Milky Way galaxy में लगभग 100 अरब तारे हैं और इतने सारे तारों के प्रकाश के बीच ग्रह खोजना काफी मुश्किल है। लेकिन वैज्ञानिकों ने एक कारनामा कर डाला है। उन्होंने Milky Way में नहीं बल्कि एक दूसरी गैलेक्सी में मौजूद एक स्टार के ग्रह को खोजा है। जो हमें बताता है कि इस ब्रहमांड पर हमारी नजर चील की नजर से भी तेज हो गई है तो चलिए जाने इसके पीछे की पूरी कहानी।
Harvard-Smithsonian Center for Astrophysics के एक शोधकर्ता ने पक्का सबूत पाया है जिसमें उनके मुताबिक दूर मौजूद M 51 नाम की गैलेक्सी में मौजूद एक बाइनरी स्टार सिस्टम में एक ग्रह की मौजूदगी का पता चला है। अगर यह कन्फर्म हो जाता है कि यह ग्रह अस्तित्व में है तो यह मानव इतिहास द्वारा खोजा गया पहला extragalactic planet बन सकता है।
हमारी तकनीकी आज के समय में बहुत उन्नत तो है पर उतनी भी नहीं। हम अपने करीब के स्टार सिस्टम के तारे Proxima Centauri के ग्रहों के अस्तित्व को लेकर भी अभी कन्फर्म नहीं हैं क्योंकि तारों की रोशनी में उसके ग्रह कहां गुम हो जाते हैं इसका पता आज के विशाल टेस्किोप भी नहीं लगा पाते। हमने आजतक जितने भी exoplanets को खोजा है वह ज्यादातर हमें transit method से ही मिले हैं। Transit method में हम तारे की रोशनी में लगातार नजर बनाए रखते हैं और जैसे ही उस तारे की रोशनी में एक स्ट्रेट लाइन में Dipping दिखती है तो यह कन्फर्म हो जाता है कि उस तारे के चारों ओर उस लोकेशन पर एक ग्रह है। जहां पर बाद में कड़ी नजर रखकर उस ग्रह के बारे में जानकारी निकाली जाती है और इसी तरह हमने हजारों exoplanets को खोज निकाला है।
आपको बता दें कि exoplanet उन ग्रहों को कहते हैं जो हमारे सौरमंडल से बाहर के होते हैं यानि सौर मंडल से बाहर कहीं भी कोई ग्रह खोजा जाएगा तो वह exoplanet कहलाएगा।
अब हम थोड़ा उस ग्रह के बारे में जानते हैं जो हमें दूसरी गैलेक्सी में मिला है। M51 जिसे Whirlpool Galaxy भी कहा जाता है वह पृथ्वी से 23 million light-years यानि 2 करोड़ 30 लाख लाइट ईयर्स दूर है। जो लगभग 76,000 लाइटईयर के डायमीटर में फैला है। यह लगभग मिल्की वे का सिर्फ 43 प्रतिशत साइज का है और इसका वजन मिल्की वे से 10 गुना कम है। इस गैलेक्सी में खोजे गए सबसे पहले ग्रह का नाम M51-ULS-1b दिया गया है।
इस ग्रह को सितम्बर 2020 में X-ray transit method से खोजा गया। यह एक बाइनरी स्टार सिस्टम का हिस्सा है पर यह स्टार सिस्टम काफी अजीब है क्योंकि इसमें एक तारा तो नार्मल स्टार है पर दूसरे तारे में ग्रैविटी इतनी ज्यादा डिटेक्ट की गई कि वैज्ञानिकों को यह लग रहा है कि वह एक Neutron star या फिर कोई छोटा Black hole हो सकता है।
जिस Object की ग्रैविटी ज्यादा होती है वह ज्यादा X-ray रिलीज करता है और उस स्टार सिस्टम में एक तारे से बहुत ही ज्यादा X-ray रिलीज हो रही है जिससे यह कन्फर्म हुआ कि वह शायद एक न्यूट्रान स्टार है या कोई ब्लैक होल। X-ray की scanning के वक्त इसमें Dipping देखी गई। इस Dipping को 2012 में Chandra X-ray Observatory ने भी डिटेक्ट किया था। X-ray कि चमक में Dipping 3 घंटे तक चली। यह Dipping तब होती है जब ग्रह उस तारे से पास होता है और जैसा हमने पहले बताया कि exoplanets ज्यादातर ऐसी ही प्रक्रिया से खोजते हैं तो M51 के इस स्टार सिस्टम में हमने शायद पहली बार extragalactic planet खोज निकाला है।
इस प्लेनेट की डिटेल्स निकालना तो भविष्य में James Webb Space Telescope के लिए भी संभव नहीं हो पाएगा। पर हम इसकी डिटेल्स निकालने के लिए कोई तकनीकी खोज ही लेगें तब तक के लिए आपको इंतजार करना पडेगा।
ये भी पढ़ें:
मंगल ग्रह पर मिला पानी, नासा ने खोजी 3 नई झीलें
गेलिलियो गैलिली - बृहस्पति के चार चन्द्रमाओं की खोज करने वाला शख्स